गुरुवार, 19 मार्च 2009

दे इतना वरदान


हे भगवान दया निधान,
मुझको दो इतना वरदान,
चाहे दुःख हो चाहे सुख हो,
रहे देश का हरदम ध्यान,बाधाओं में,
विपदाओं में,धीरज धरूं बनू बलवान,
तन मन वारू, जीवन वारूँ,
होऊं भारत पर बलिदान।
वन्देमातरम

शुक्रवार, 13 मार्च 2009

उम्मीद


क्यों ऐसी उम्मीद की मैंने जो ऐसे नाकाम हुई
दूर बनाई थी मंजिल रस्ते में ही शाम हुई ।

रविवार, 8 मार्च 2009

जिन्दगी का मतलब


इस जिंदगी का दूसरा कोई खेप नहीं होता
क्या ले जाओगे कफन में जेब नहीं होता
बडे गुमान किए थे जिन लोंगों ने
सुबह बयां कर गई ऐसा कुछ नहीं होता
सूनी सडकों पर बेखौफ मत चल
ऐसा नहीं कि यहां कोई हादसा नहीं होता
अजीब बेबसी है उस बस्ती की
जहां कोई शख्स जवां नहीं होता
डस आग के बारे में क्या कहिये
सुलगते रहता है पर धुआं नहीं होता
मेरे मुल्क को बदनाम करने वालों मत भूलों
कुछ तो है यु हीं सारे जहां से अच्छा नहीं होता।

मंगलवार, 3 मार्च 2009

मंगल कामनाएं

ताजी हवा में फूलों की महक हो,
पहिली किरन में चिडियों की चहक हो,
जब भी खोलो आप अपनी पलकें,
उन पलकों में खुशियों की झलक हो,
सदा रहो आबाद,
जहाँ रहो, खुशियों से लबरेज रहो।

रविवार, 1 मार्च 2009

गम

जब भी आया गम कोई नया शहर में,

सब ने मेरे घर का पता दे दिया।

शनिवार, 21 फ़रवरी 2009

पथ्थर दिल

पत्थर की है दुनिया, जज्बात नहीं समझती,
दिल में है क्या वो बात नहीं समझती,
तनहा तो चांद भी है सितारों के बीच,
मगर चांद का दर्द बेवफा रात नहीं समझती।

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009

संदेश

दुनिया में कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनको हर उस काम में, मजा आता है, जिसके द्वारा दूसरे लोग परेशान हों। इस तरह के लोग, अपने जीवन का एक-एक पल, लोगों को परेशान करने में बिता देते हैं।ऐसा ही एक व्यक्ति था, उसे लोगों को परेशान करने में बहुत ही मजा आता था. . पुरा गाव, उससे परेशान था. अपने अन्तिम समय में, जब वह व्यक्ति आया और चारपाई पर पड़ गया तो, उसे लगा कि अब वह किसी और को परेशान नहीं कर पायेगा। ऐसा विचार आते ही वह इस तरह की तरकीब सोचने लगा कि, कैसे उसके मरने के बाद भी इस गाँव के लोग परेशान रहें। एक दिन जब उस व्यक्ति को लगा कि, अब वह मरने वाला है तो, उसने उस गाँव के मुखिया को बुलाकर कहा मैंने सब लोगों को बहुत परेशान किया है। अब अपने अंत समय में मैं प्रायश्चित करना चाहता हूँ। मुखिया ने उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसका प्रायश्चित पूछा। उस व्यक्ति ने कहा-"जब मैं मर जाऊं तो मेरे मुंह में लकड़ी का एक खूंटा ठोंक देना., यही मेरा प्रायश्चित होगा." उस व्यक्ति के मरने के बाद गाँव वालों ने उसके प्रायश्चित के लिए उसके मुंह में लकड़ी का खूंटा ठोंक दिया। उस के क्रिया-कलाप के लिए, अन्तिम संस्कार के लिए अन्तिम यात्रा श्मशान के लिए निकाली गई. उस रास्ते में एक पुलिस थाना पड़ता था. पुलिस वालों ने देखा कि अर्थी में कफ़न उठा हुआ है तो उनको शक हुआ. पुलिस के अधिकारी ने अर्थी को रोक कर कफ़न खुलवाया तो देखा कि मृत व्यक्ति के मुंह में लकड़ी का खूंटा ठुका है. पुलिस ने सभी को उस व्यक्ति की हत्या करने के आरोप में बंद कर दिया. अब सभी लोग हवालात में थे। काफी परेशानी के बाद में, गाँव के कुछ सभ्य, पढ़े-लिखे लोगों के वस्तुस्थिति से अवगत कराने पर, उन गाँव वालों को छोड़ा गया. आप सभी से आग्रह है कि, अपने गाव के ऐसे लोगों से सावधान रहें,समय रहतें ऐसे लोगों को उचित सबक सिखाएं. अन्यथा पुरा गाव उसकी करतूतों से परेसान रहेगा.