जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है...
जिन्दगी फूलों की सेज नहीं; कुरुछेत्र का मैदान है....
शुक्रवार, 13 मार्च 2009
उम्मीद
क्यों ऐसी उम्मीद की मैंने जो ऐसे नाकाम हुई
दूर बनाई थी मंजिल रस्ते में ही शाम हुई ।
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