ताजी हवा में फूलों की महक हो,
पहिली किरन में चिडियों की चहक हो,
जब भी खोलो आप अपनी पलकें,
उन पलकों में खुशियों की झलक हो,
सदा रहो आबाद,
जहाँ रहो, खुशियों से लबरेज रहो।
मंगलवार, 3 मार्च 2009
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जिन्दगी फूलों की सेज नहीं; कुरुछेत्र का मैदान है....
जोहार ! स्वागत है
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